जम्मू कश्मीर के लिए आरक्षण संशोधन बिल को मंजूरी, राष्ट्रपति शासन छह माह के लिए बढ़ाया गया !
Reservation amendment bill approved for Jammu and Kashmir, President’s rule extended for six months
समाज विकास संवाद,
नई दिल्ली।
जम्मू कश्मीर के लिए आरक्षण संशोधन बिल को मंजूरी, राष्ट्रपति शासन छह माह के लिए बढ़ाया गया !
जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन अगले छह महीने के लिए बढ़ाने का प्रस्ताव;
और वहां आरक्षण का दायरा बढ़ाने संबंधी संशोधन विधेयक सोमवार को संसद से सर्वसम्मति से पारित हो गया।
कश्मीर से जुड़े इन मसलों पर विपक्ष पूरी तरह सरकार के साथ खड़े हुए दिखाई दिए।
वहीं पश्चिम बंगाल में भाजपा से दो-दो हाथ कर रही तृणमूल कांग्रेस ने भी सरकार का साथ दिया।
सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच आरोप प्रत्यारोप का दौर तो चला और इतिहास के पन्ने भी पलटे गए,
लेकिन किसी भी प्रस्ताव का विरोध नहीं हुआ।
तृणमूल कांग्रेस ने प्रस्ताव और विधेयक दोनों पर समर्थन का एलान कर दिया!
लोकसभा से पारित होकर राज्यसभा पहुंचे प्रस्ताव और विधेयक पर चर्चा हुई थी।
इसी दौरान, ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस ने प्रस्ताव और विधेयक दोनों पर समर्थन का एलान कर दिया।
इसी तरह, समाजवादी पार्टी ने भी जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ाने के प्रस्ताव पर समर्थन की घोषणा कर दी।
इससे सदन से दोनों के पारित होने का रास्ता साफ हो गया था।
हालांकि बाद में प्रस्ताव और विधेयक दोनों ही सर्वसम्मति से पारित हुए।
चर्चा का जवाब देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने;
जम्मू-कश्मीर में वर्तमान समस्याओं का ठीकरा तत्कालीन कांग्रेस सरकारों पर फोड़ते हुए कहा कि
अब ईमानदारी से इससे निपटने की कोशिश हो रही है।
उन्होंने कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद से पूछा, एक जनवरी, 1949 को सीजफायर क्यों किया गया था।
यदि यह नहीं होता तो आतंकवाद नहीं होता।
झगड़ा भी नहीं होता, फिर यूएन में क्यों गए थे जबकि महाराजा ने ही स्वीकार कर लिया था कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है।
ऐसी गलती क्यों की? शाह ने कहा कि इससे भी खराब स्थिति हैदराबाद और जूनागढ़ की थी।
लेकिन सरदार पटेल ने मक्खन की तरह उन्हें जोड़ दिया था, लेकिन कश्मीर फंस गया।
कांग्रेस नेशनल कांफ्रेंस से गठजोड़ करना चाहती है!
इतिहास की गलती को मानना चाहिए। शाह ने आज के दिन भी कांग्रेस की सोच पर सवाल खड़ा किया।
उन्होंने कहा, शेख अब्दुल्ला का बड़ा योगदान है,
लेकिन कांग्रेस यह क्यों नहीं बताती कि 1953 में उन्हें क्यों गिरफ्तार किया गया था।
1965 में उन्हें रियासत बदर क्यों किया गया। शाह ने कहा कि अब कांग्रेस नेशनल कांफ्रेंस से गठजोड़ करना चाहती है,
इसीलिए इससे बचा जा रहा है। लेकिन इतिहास किसी को माफ नहीं करता।
इतिहास को सच्चाई से देखने की जरूरत है ताकि भविष्य में गलती न हो।
शाह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और कोई इसे अलग नहीं कर सकता।
उन्होंने राजग सरकार के कार्यकाल में जम्मू-कश्मीर में हुए विकास कार्योंको गिनाया और;
कहा कि कश्मीरियत और जम्हूरियत का पूरा खयाल रखा जा रहा है। इसमें कश्मीरी पंडित भी हैं और सूफी भी हैं।
किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं हो रहा है, लेकिन भारत को तोडऩे वालों को डरना होगा।
शाह ने अपील की कि एक बार भारत के साथ जुडि़ए आपकी हिफाजत की जिम्मेदारी मोदी सरकार की है।
कश्मीर में आरक्षण का दायरा बढ़ाए जाने के मुद्दे पर भी शाह ने कांग्रेस पर करारा तंज किया;
और सामने बैठे गुलाम नबी आजाद से पूछा कि मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने इसे क्यों नहीं दिया था।
इसी के कारण तो जम्मू और लद्दाख के लोगों में क्षोभ होता है।
दरअसल, आजाद की ओर से मांग की गई कि आरक्षण का दायरा तीन के बजाय छह फीसद कर दिया जाए।
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