होली- पर्यावरण संरक्षण हेतु केशव सृष्टी संस्था द्वारा अनोखा प्रयोग!
गाय के गोबर से बनी लकड़ियों से होंगा होलिका दहन!
Holi! Unique experimental initiative by Keshav Srishti Sansthan for environmental protection.
Holika Dahan will be lightened by specially manufactured wood mixed with cow dung.
व्यास कुमार,
समाज विकास संवाद!
मुंबई,
होली- पर्यावरण संरक्षण हेतु केशव सृष्टी संस्था द्वारा अनोखा प्रयोग, गाय के गोबर से बनी लकड़ियों से होंगा होलिका दहन, भारत विकास परिषद के सहयोग से गौकाष्ठ मशीन।
रंगों के त्यौहार होली पर इस बार शहर में करीब 18 स्थानों पर गाय की लकड़ियों से होलिका दहन होंगा,
इस प्रकार की होलिका दहन भायंदर पश्चिम में बृजभूमि,बालाजी नगर ओम साई कॉम्प्लेक्स;
भाग्यश्री शिवसेना गली, ड़ी मार्ट के पास, हरसाई पद्मावती नगर, शेवता रमन कस्तूरी पार्क, मोदी पटेल रोड सहित
भायंदर पूर्व व मीरारोड के गोल्डन नेस्ट फेस 2, फेस 14, सद्गुरु कॉम्प्लेक्स, सिनेमैक्स के पास प्रथमेश हाइट सहित
करीब 18 स्थानों पर गाय की लकड़ी से होलिका दहन होंगा!
होली- पर्यावरण संरक्षण हेतु केशव सृष्टी ! गाय के गोबर से बनी लकड़ियों से होंगा होलिका दहन!
यह पर्यावरण की दृष्टि से शुभ माना जाता है!
जिसे पर्यावरण की दृष्टि से गाय के गोबर से बनी दाह्य वस्तु या लकडिया शुभ माना जाता है!
वैसे होली पर गाय के गोबर से बने छोटे छोटे उपले लगाने की प्रथा है, परंतु शहरी क्षेत्र में इस प्रकार के उपले कठिनाई से मिलते है!
इस क्रम में नगरसेवक डॉ शुशील अग्रवाल के अनुसार केशव सृष्टि गौशाला में गौकाष्ठ अर्थात;
गोबर से लकड़ी बनाने वाली मशीन के माध्यम से वर्तमान में प्रतिदिन गोबर से लकड़ियां बनाई जा रही है;
गाय के गोबर से निर्मित लकड़ियों का भी उत्पादन शुरू होने के कारण गौकाष्ठ का! हमारी हिन्दू संस्कृति में बहुत महत्व है,
जिसको लेकर लोगो मे गाय के गोबर से बनी लकड़ियों के प्रति रुझान बढ़ा है,
नरेश पसारी के अनुसार हमारे पास गाय के गोबर से बनी लकड़ियों का पर्याप्त स्टॉक अब नही होने से;
लोक अपेक्षा पूरी करने में हम इस बार असमर्थ है परंतु अगले वर्ष के लिए हम पूरी तैयारी रखेंगे!
होली- पर्यावरण संरक्षण हेतु केशव सृष्टी ! होलिका दहन में लकड़ी की बजाय इस गोबर की लकड़ी का उपयोग कर पर्यावरण बचाने में सहायक रहेगी!
होलिका दहन में लकड़ी की बजाय इस गोबर की लकड़ी का उपयोग कर पर्यावरण बचाने में सहायक रहेगी!
यहा यह गौरतलब है कि होलिका दहन के दौरान प्राचीन काल से ही होली में गाय के गोबर से बने उपले, गौ घृत,कपूर,निम के पत्ते,
हल्दी अगर तगर आदि डाल कर होलिका दहन पूजा के साथ किया जाता है!
तथा दूसरे दिन होली ठंडी होने पर लोग होलिका स्थल पर जाकर उसकी राख शरीर पर लगाते है ऐसी मान्यता है,
कि इसमें औषधीय गुण है साथ ही नकारात्मक ऊर्जा को भी समाप्त करती है!
तथा ऐसे तत्वों के साथ कि गई होलिका दहन से वायु मंडल भी पोषित होता है!
होली- पर्यावरण संरक्षण हेतु केशव सृष्टि स्थित गौशाला में भारत विकास परिषद के सहयोग से गौकाष्ठ मशीन लगाई गई!
यहा यह गौरतलब है कि केशव सृष्टि स्थित गौशाला में भारत विकास परिषद के सहयोग से गौकाष्ठ मशीन लगाई गई है,
जहाँ प्रतिदिन गौकाष्ठ की लकड़ियों का उत्पादन किया जाता है!
जिससे भविष्य में गौकाष्ठ कई लकड़ियों से अंतिम क्रियाविधि भी लोग कर सकेंगे!
इस गौशाला में वर्तमान में 230 की संख्या में गौवंश है जहाँ प्रतिदिन 3 टन गोबर का उत्पादन होता है,
जिसके माध्यम से गोबर गैस उपले आदि का उत्पादन किया जाता है,
अब चूंकि गाय के गोबर से लकड़ियां बनाने की मशीन आने से इस दिशा में नया उपक्रम शुरू किया गया है!
जिसके माध्यम से इस वर्ष 10 मार्च को मीरा भायंदर शहर में 18 स्थानों पर गौकाष्ठ की लकड़ियों से होलिका दहन होंगा!
हालांकि गौकाष्ठ की लकड़ियों की मांग काफी है; इसलिए इस वर्ष तो कई लोगो को ऐसी इच्छओं से वंचित रहना पड़ेगा;
परंतु आगामी वर्ष होली पर पर्याप्त गौकाष्ठ की लकड़ियां उपलब्ध होंगी जिससे पर्यावरण को बढ़ावा मिलेगा!
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