काश्मीर की “आर्टिकल 35A” की वैधता को चुनौती- सुप्रिम कोर्ट में जल्द सुनवाई !
इस भारत बिरोधी धारा को ख़त्म करने की भाजपा का मांग !
Challenge of validity of Kashmir’s “Article 35A” – Hearing soon in the Supreme Court!
अरविन्द यादव !
समाज विकास संवाद!
नयी दिल्ली !
काश्मीर की “आर्टिकल 35A” की वैधता को चुनौती- सुप्रिम कोर्ट में जल्द सुनवाई, 1956 में जम्मू-कश्मीर का संविधान, आर्टिकल 35A की वैधता को चुनौती, आर्टिकल 35ए पर कड़ा कदम।
आर्टिकल 35ए की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रिम कोर्ट में इसी हफ्ते होगी सुनवाई.
जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 35ए की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट इसी हफ्ते सुनवाई करेगा।
शीर्ष अदालत ने 26-28 फरवरी के बीच मामले को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।
गौरतलब है कि धारा 35ए के तहत जम्मू-कश्मीर में वहां के रहने वाले मूल निवासियों के अलावा,
देश के दूसरे हिस्सों में रहने वाले नागरिक वहां कोई संपत्ति नहीं खरीद सकता है।
इससे वह वहां का नागरिक भी नहीं बन सकता है।
आपको बता दें कि, जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा से जुड़े आर्टिकल 35ए को खत्म करने की मांग वाली याचिका पर तत्काल सुनवाई की,
लेकिन सुप्रीम कोर्ट में किसी ने मांग नहीं की।
न तो सरकार के तरफ से और न ही याचिकाकर्ताओं की तरफ से ऐसी मांग हुई।
मोदी सरकार आम चुनाव से पहले आर्टिकल 35ए पर कड़ा कदम उठा सकती है।
गौरतलब है कि 1954 में इस धारा को आर्टिकल 370 के तहत दिए गए अधिकारों के अंतर्गत ही जोड़ा गया था।
मिली जानकारी के अनुसार मोदी सरकार आम चुनाव से पहले आर्टिकल 35ए पर कड़ा कदम उठा सकती है।
आर्टिकल 370 को हटाना भाजपा का हमेशा से प्रयास रहा है।
हालांकि भाजपा की सहयोगी जेडीयू और अकाली दल इसका विरोध करते रहे हैं।
काश्मीर की आर्टिकल35A की वैधता को चुनौती – याचिका पर सुप्रिम कोर्ट में होगी जल्द सुनवाई !
अनुच्छेद 35ए के विरोध में दो दलीलें प्रमुख रूप से दी जाती हैं।
पहली कि यह राज्य में अन्य राज्य के भारतीय नागरिकों को स्थायी नागरिक मानने से वर्जित करती है।
इस वजह से दूसरे राज्यों के नागरिक न तो जम्मू-कश्मीर में नौकरी पा सकते हैं और न ही संपत्ति खरीद सकते हैं।
इसके साथ ही यदि प्रदेश की किसी लडक़ी ने अन्य राज्य के नागरिक से विवाह कर लिया,
तो उन्हें राज्य में संपत्ति के अधिकार से आर्टिकल 35ए के आधार पर वंचित किया जाता है।
इसे संविधान में अलग से जोड़ा गया है और इसको लेकर भी विरोध हो रहा है।
1956 में जम्मू-कश्मीर का संविधान बनाया गया था।
1956 में जम्मू-कश्मीर का संविधान बनाया गया था और इसमें स्थायी नागरिकता की परिभाषा तय की गई।
इस संविधान के अनुसार, स्थायी नागरिक वही व्यक्ति है,
जो 14 मई 1954 को राज्य का नागरिक रहा और कानूनी तरीके से संपत्ति का अधिग्रहण किया हो।
इसके अलावा कोई शख्स 10 वर्षों से राज्य में रह रहा हो,
या 1 मार्च 1947 के बाद राज्य से माइग्रेट होकर (आज के पाकिस्तानी सीमा क्षेत्र के अंतर्गत) चले गए हों,
लेकिन प्रदेश में वापस रीसेटलमेंट परमिट के साथ आए हों उन पर भी ये क़ानून लागु होता है ।
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