धारा 370 के हटने से पूरा हुआ डा.श्यामाप्रसाद मुखर्जी का सपना!
चन्दन गोस्वामी,
(पैनलिस्ट-प्रवक्ता, भारतीय जनता पार्टी-महाराष्ट्र)
समाज विकास संवाद!
न्यू दिल्ली,
धारा 370 के हटने से पूरा हुआ डा.श्यामाप्रसाद मुखर्जी का सपना!
डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी का सपना था कि एक देश में दो विधान दो निशान और दो प्रधान नहीं चलेगा, उनके ये सपना धारा 370 के हटने से सम्पन्न हुआ।
इसका समाधान हुआ 5 अगस्त 2019 को जब जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35 अ को हटाने के फैसले को संसद की मंजूरी मिली।
जो सपना डॉ श्याम प्रसाद मुखर्जी ने देखा था वो सपना पूरा हुआ।
डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने भारतीय संसद में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को कहा था,
‘या तो मैं संविधान की रक्षा करूंगा नहीं तो अपने प्राण दे दूंगा।’
डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी परमिट बिना जम्मू-कश्मीर गए।
उन्हे शेख अब्दुल्ला की सरकार ने गिरफ्तार किया।
गिरफ्तारी के कुछ ही दिनों बाद उन्हें मृत घोषित किया गया।
वे अखंड भारत के लिए बलिदान देने वाले पहले भारतीय थे, जो जनसंघ के अध्यक्ष के रूप में वहां गए थे।
23 जून को डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि को भाजपा बलिदान दिवस के रूप में मनाती है।
हम संविधान की अस्थायी धारा 370 को समाप्त करेंगे!
भारतीय जनसंघ से लेकर भाजपा के प्रत्येक घोषणा पत्र में अपने बलिदानी नेता डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के इस घोष वाक्य को, कि –
“हम संविधान की अस्थायी धारा 370 को समाप्त करेंगे”, सदैव लिखा जाता रहा।
समय आया तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिन्होंने स्वयं डॉ. मुरली मनोहर जोशी के साथ
भारत की यात्रा करते हुए श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा फहराया था, और
गृहमंत्री अमित शाह ने 5 अगस्त, 2019 को धारा 370 को राष्ट्रहित में समाप्त करनें के निर्णय को
दोनों सदनों से पारित करा कर डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी द्वारा मां भारती के लिए जीवन देने को सच्ची श्रद्धांजलि दी।
डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी के विचारों के संवाहक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं गृहमंत्री अमित शाह सहित पूरे मंत्रीमंडल ने अनुच्छेद—370 को समाप्त कर दुनिया को बता दिया—
“जहां हुए बलिदान मुखर्जी, वह कश्मीर हमारा है,
जो कश्मीर हमारा है, वह सारा का सारा है।”
इस तरह से आय़ा धारा 370!
इस तरह से आय़ा धारा 370, 17 अक्टूबर 1949 को एक एक ऐसी घटना घटी जिस के कारण आज तक;
जम्मू और कश्मीर विवाद का विषय है।
दरअसल, संसद में गोपाल स्वामी अयंगार ने कहा कि हम जम्मू और कश्मीर को नया आर्टिकल देना चाहते हैं।
तब महाराजा हरिसिंह के दीवान रहे गोपाल स्वामी अयंगार भारत की पहली कैबिनेट में मंत्री थे।
संसद में उनसे जब यह पूछा गया कि क्यों?तो उन्होंने कहा कि आधे कश्मीर पर पाकिस्तान ने कब्जा कर लिया है और
इस राज्य के साथ समस्याएं हैं।
आधे लोग उधर फंसे हुए हैं और आधे इधर तो अभी वहां की स्थिति अन्य राज्यों की अपेक्षा अलग है तो ऐसे में वहां के लिए फिलहाल नए आर्टिकल की जरूरत होगी,
क्योंकि अभी जम्मू और कश्मीर में पूरा संविधान लागू करना संभव नहीं होगा। अस्थायी तौर पर उसके लिए 370 लागू करना होग।
जब वहां हालात सामान्य हो जाएंगे तब इस धारा को भी हटा दिया जाएगा।फिलहाल वहां धारा 370 से काम चलाया जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि सबसे कम समय में चर्चा के बाद यह आर्टिकल संसद में पास हो गया।
यह संविधान में सबसे आखिरी में जोड़ी गई धारा थी।भारतीय संविधान के 21वें भाग का 370 एक अनुच्छेद है।
इस धारा के 3 खंड हैं। इसके तीसरे खंड में लिखा है कि भारत का राष्ट्रपति जम्मू और कश्मीर की संविधान सभा के परामर्श से धारा 370 कभी भी खत्म कर सकता है।
हालांकि अब तो संविधान सभा रही नहीं, ऐसे में इसे हटाने के लिए राष्ट्रपति को किसी से परामर्श लेने की जरूरत नहीं थी।
धारा 370 द्वारा जम्मू कश्मीर के पास ये थे विशेष अधिकार!
भारतीय संविधान की धारा 370 द्वारा जम्मू कश्मीर के पास ये थे विशेष अधिकार!
धारा 370 के प्रावधानों के मुताबिक संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा,
विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार था लेकिन किसी अन्य विषय से संबंधित कानून को
लागू करवाने के लिए केंद्र को राज्य सरकार की सहमति लेनी पड़ती थी।
इसी विशेष दर्जे के कारण जम्मू-कश्मीर राज्य पर संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती थी।
राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्खास्त करने का अधिकार नहीं था।
1976 का शहरी भूमि कानून भी जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होता था।
भारत के अन्य राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर में जमीन नहीं खरीद सकते थे।
भारतीय संविधान की धारा 360 यानी देश में वित्तीय आपातकाल लगाने वाला प्रावधान जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होता था।
डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने किया था धारा 370 का घोर विरोध!
डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने किया था धारा 370 का घोर विरोध।
पंडित जवाहर लाल नेहरू कैबिनेट में उद्योग और आपूर्ति मंत्री रहे डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने धारा 370 का कड़ा विरोध किया था।
जनसंघ के संस्थापक श्री श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने हमेशा यह माना कि जम्मू -कश्मीर में धारा 370 देश की एकता के लिए ठीक नहीं थी।
वे जम्मू कश्मीर को एक अलग दर्जा दिए जाने के विरोधी थे।
इस के लिए उन्होंने ‘एक देश में दो विधान, दो निशान और दो प्रधान नहीं चलेगा’ का नारा दिया।
मतभेदों के कारण उन्होंने मंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया था।
इसके बाद उन्होंने नई राजनैतिक पार्टी ‘भारतीय जनसंघ’ की स्थापना की थी।
श्री श्यामा प्रसाद मुखर्जी जब जम्मू कश्मीर गए तब उनके पास परमिशन नहीं थी और उनका मानना था कि हम अपने देश में कहीं भी जाएं परमिशन की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए।
धारा 370 के कारण कश्मीर की संस्कृति केवल एक जगह तक सीमित थी,
अब कश्मीर की संस्कृति पूरे देश में जाएगी।
धारा 370 के हटने से जम्मू-कश्मीर की जनता को सरकार के द्वारा चलाई जा रही सभी योजनाओं का लाभ मिल सकेगा।
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