आंखो की कैंसर व ट्यूमर की इलाज़ अब होंगे आसान- भाभा अनुसंधान केन्द्र ने खोंजा समाधान!
समाज विकास संवाद!
न्यू दिल्ली,
आंखो की कैंसर व ट्यूमर की इलाज़ अब होंगे आसान- भाभा अनुसंधान केन्द्र ने खोंजा समाधान, आँखों के कैंसर से पीड़ित मरीज़ों के लिए देशज प्लैक उपचार पद्धति एक सफल शुरुआत है, परमाणु ऊर्जा विभाग कई अन्य क्षेत्रों में भी अपना अतुलनीय योगदान दे रहा है।
भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र ने नेत्र संबंधी ट्यूमर के इलाज के लिए पहली देशज रूथीनियम 106 प्लैक के रूप में
आंखों के कैंसर के उपचार की पद्धति विकसित की!
केंद्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन,
परमाणु ऊर्जा एवं अन्तरिक्ष राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने नेत्र संबंधी ट्यूमर के इलाज के लिए
पहली देशज रूथीनियम 106 प्लैक के रूप में आंखों के कैंसर के उपचार की पद्धति विकसित करने के लिए
भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र की सराहना की।
सर्जन के लिए इस प्लैक को संभालना आसान और सुविधाजनक है।
ख़ास बात यह है कि इस प्लैक को अन्तरराष्ट्रीय मानकों के समकक्ष माना गया है।
डॉ. जितेन्द्र सिंह के सुझाव पर परमाणु ऊर्जा विभाग ने इस युगांतकारी चिकित्सा प्रयोग मे आगे बढ़ा!
आंखो की कैंसर व ट्यूमर की इलाज़ अब होंगे आसान- भाभा अनुसंधान केन्द्र ने खोंजा समाधान!
यह उल्लेखनीय है कि परमाणु अनुसंधान विभाग (डी ए ई) के अध्यक्ष सह सचिव डॉ. केएन व्यास ने आँखों से जुड़ी
इस बीमारी के उपचार की संभावनाओं पर पिछले वर्ष अक्टूबर में परमाणु ऊर्जा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
डॉ. जितेन्द्र सिंह से आँखों से विस्तार से चर्चा की थी और मंत्री को यह बताया था कि परमाणु अनुसंधान विभाग
इस में क्या भूमिका निभा सकता है।
इसी क्रम में डॉ. जितेन्द्र सिंह के सुझाव पर परमाणु ऊर्जा विभाग ने इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए नई दिल्ली स्थित
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के डॉ. राजेन्द्र प्रसाद नेत्र विज्ञान केन्द्र का सहयोग लेना शुरू किया।
कुछ समय बाद एम्स नई दिल्ली इस बात पर सहमत हुआ कि वे भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र द्वारा आँखों के कैंसर
के उपचार के लिए विकसित किए गए प्लैक का इस्तेमाल मरीज़ों के ईलाज के दौरान करेगा।
सितंबर 2020 में एम्स ने पहली बार इस प्लैक का उपयोग एक ऐसे मरीज की आँखों पर किया
जिसे कोरोओडल हीमैन्जिओमा (Choroidal Hemangioma) था। इस इलाज के नतीजे काफी संतोषजनक रहे हैं।
अब तक यह चिकित्सा पद्धति आँखों के कैंसर से पीड़ित सात मरीजों पर सफलता पूर्वक इस्तेमाल किया गया!
आंखो की कैंसर व ट्यूमर की इलाज़ अब होंगे आसान- भाभा अनुसंधान केन्द्र ने खोंजा समाधान!
नई दिल्ली के एम्स स्थित डॉ. राजेन्द्र प्रसाद नेत्र चिकित्सा केन्द्र के अध्यक्ष डॉ. (प्रो) अतुल कुमार ने बताया कि
अब तक परमाणु ऊर्जा विभाग द्वारा भारत में ही विकसित किए गए बार्क (BARC) के प्लैक का आँखों के कैंसर
से पीड़ित सात मरीजों पर इस्तेमाल किया गया, इनमें दो रेटिनोब्लास्टोमा (Retino blastoma),
दो कोरोइडल मेलानोमा (Choroidal Melanoma),
दो ऑक्युलर सर्फेस स्क्वैमस निओप्लाज़ा (Ocular Surface Squamous Neoplasia (OSSN)) और
एक कोरोइडल हीमैन्जिओमा (Choroidal Hemangioma) के मरीज़ शामिल हैं।
उनके अनुसार, सर्जन के लिए इस प्लैक को संभालना और इसकी देखरेख करना काफी सुविधाजनक और आसान है।
इसके शुरुआती नतीज़े भी काफी संतोषजनक हैं।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा! आँखों के कैंसर से पीड़ित मरीज़ों के लिए देशज प्लैक उपचार पद्धति एक सफल शुरुआत है।
आंखो की कैंसर व ट्यूमर की इलाज़ अब होंगे आसान- भाभा अनुसंधान केन्द्र ने खोंजा समाधान!
इस सफलता पर अपने विचार रखते हुए डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि पिछले पांच वर्षों में परमाणु ऊर्जा विभाग ने
आम नागरिकों को फायदा पहुँचाने के उद्देश्य से अपनी गतिविधियों और उद्द्श्यों में विविधता और
व्यापकता लाने का प्रयास किया है।
उन्होंने कहा कि आँखों के कैंसर से पीड़ित मरीज़ों के लि देशज प्लैक उपचार पद्धति
का विकास चिकित्सा प्रबंधन के क्षेत्र में ऐसी ही एक सराहनीय और सफल शुरुआत है।
उन्होंने कहा कि इस उपचार पद्धति ने मरीजों को एक सरल और कम लागत वाला विकल्प दिया है।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने बताया कि परमाणु ऊर्जा विभाग के अंतर्गत काम करने के लिए मुंबई स्थित
टाटा मेमोरियल कैंसल अस्पताल के साथ-साथ असम के गुवाहाटी स्थित बरुआ कैंसर अस्पताल को भी एक
सहायक अस्पताल के रूप में चुना गया है। उन्होंने कहा कि संपूर्ण पूर्वोत्तर क्षेत्र में पहली बार इस संस्थान में
कैंसर के DM और Mchअति विशिष्ट पाठ्यक्रमों को भी शुरू किया गया है।
परमाणु ऊर्जा विभाग कई अन्य क्षेत्रों में भी अपना अतुलनीय योगदान दे रहा है।
परमाणु ऊर्जा विभाग कई अन्य क्षेत्रों में भी अपना अतुलनीय योगदान दे रहा है।
उदाहरण के तौर पर, भाभा परमाणु ऊर्जा केन्द्र (बार्क) सुरक्षा बलों के लिए बुलेट प्रूफ जैकेट बनाने में
सहयोग देने के अलावा, कृषि क्षेत्र में सब्ज़ियों और खाद्य पदार्थों की भंडारण अवधि को बढ़ाने के लिए
विकिरण प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर रहा है।
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