मोदी जी का आह्वान! ५ अप्रैल रात ९ बाजे ९ मिनिट के लिए करे आत्मदीप की प्रज्वलन!
Appeal By Modi ji! On 5 April night, Enlighten AtmaDeep for 9 minutes at 9 PM in the Evening!
समाज विकास संवाद,
न्यू दिल्ली,
मोदी जी का आह्वान! ५ अप्रैल रात ९ बाजे ९ मिनिट के लिए करे आत्मदीप की प्रज्वलन!
कोरोना से लड़ने उर्जा की करे संतुलन प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी जी का आह्वान – ५ अप्रैल रात ९ बाजे ९ मिनिट के लिए करे
आत्मदीप की प्रज्वलन!
भारत भर में फ़ैल रहे कोरोना वायरस की महामारी को रोकने की लड़ाई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी
सम्पूर्ण भारत वासिओं के लिए रविवार 5 अप्रैल के दिन शाम ठीक ९ बाजे ९ मिनट के लिए
दीप प्रज्वलन व् प्रकाश की प्रज्वलन करने ने का आह्वान किया है!
रविवार 5 अप्रैल के दिन को ही दीपदान के लिए क्यों चुना गया ? क्या कहता है ज्योतिर्विज्ञान व् ज्योतिष शास्त्र?
परन्तु, रविवार 5 अप्रैल के दिन को ही दीपदान के लिए क्यों चुना गया ? क्या कहता है ज्योतिर्विज्ञान व् ज्योतिष शास्त्र?
यदि अंक-ज्योतिष के माध्यम से देखा जाय तो इस क्षण अत्यंत महत्वपूर्ण एवं अमृत फलदाई है।
अंक-विज्ञान के अनुसार 5 अंक का स्वामी ग्रह बुध है। बुध ग्रह को नवग्रह का दर्जा प्राप्त है ,
इस ग्रह के प्रभाव गला, फेफड़ा और मुख सम्बंधित बिमारियों से होता है।
कोविद १९ की महामारी वर्तमान में विश्वव्यापी महामारी कोरोना मनुष्य के मुख,
फेफड़े और गले को ही अपना निशाना बनाए हुए है।
बुध ग्रहों इस हिन्दू वर्ष अर्थात वर्तमान सम्वत् वर्ष 2077 का अधिपति भी है।
अतः 5 अप्रैल इस दृष्टि से अत्यंत अनुकूल है।
इसी दिन प्रज्वलित होने बाले सौ करोड़ों दीपक सूर्य को देंगे महाबल!
रविवार का दिन ग्रहराज सूर्य का दिन होता है। ज्योतिर्विज्ञान के अनुसार सूर्यदेव नवग्रह का अधिपति है।
समस्त ग्रह सौर ऊर्जा से ही प्रभावित हैं।
सूर्य दीपक या प्रकाश का प्रतीक है , इसीलिए 5 अप्रैल को रात्रि 9 बजे से 9 मिनट तक यमघण्ट काल को
करोड़ों प्रज्वलित दीपक सूर्य को बल प्रदान करेंगे।
इसी क्षण में अमृत काल का भी समावेश होने से ये क्षण ज्योतिर्विज्ञान के दृष्टि से अत महत्वपूर्ण बन रहा है!
करोरो दीपक की प्रज्वलन से चन्द्रमा धरती पर अमृत-वृष्टि के लिए होंगे उत्साही!
ज्योतिष के मान्यता अनुसार अंक ९ मंगल ग्रह का प्रतीक है।
मंगल ग्रह को सौरमंडल का सेनापति होने का दर्जा प्राप्त है,
इसी कारण ये गृह ९ मिनिट के दीप प्रज्वलन से
अत्यंत बलशाली होंगे एवं इस कोविद १९ की महामारी द्वारा धरती पर फ़ैल रहे अन्धकार को
नष्ट करने में सूर्य का अपूर्व सहयोग करेंगे।
रात्रि या अन्धकार का क्षण न्यायचक्र के अधिपति ग्रह भगवान् शनिदेव का प्रतीक है और शनिदेव आपने पिता
ग्रहराज सूर्यदेव से अर्थात् प्रकाश से दूर होते है।
रात्रि की अन्धकार के क्षण पर संयम, संकल्प व् सद्भाव से किया गया दीप प्रज्वलन न्याय मूर्ति शनिदेव को भी प्रसन्न करेंगे!
रविवार 5 अप्रैल को जो पूर्णिमा के नज़दीक की तिथि होने से उस दिन
चन्द्र की मज़बूती के लिए सभी प्रकाश बन्द कर
दीपदान करना चन्द्रमा को धरती पर अमृत-वर्षण के लिए प्रोत्साहित करेगा।
इस अमृत क्षण में ग्रहराज सूर्यदेव को जागृत करने का होगा करोरों सार्थक प्रयास!
ये क्षण की चौघड़िया अर्थात मुहूर्त अमृत की रहेगी। होरा भी उस वक़्त सूर्यदेव का होगा।
इस कारन इस दीपदान प्रक्रिया से शनि-काल में भी ऊर्जा के स्रोत सूर्य को
जागृत करने के लिए सार्थक प्रयास साबित होगा।
वे क्षण के घटिका मूलांक 9 / 9 पर मंगल-सूर्यदेव साथ होंगे,
जो मेष राशि की ओर जाते हुए विषाणु जनित व्याधि को नष्ट करने में पूर्ण सक्षम होंगे।
अतः इस दृष्टि से भी सूर्य-मंगल की सकारात्मकता के लिए भी दीपदान आवश्यक है।
राहु रूपी अन्धकार (कोरोना महामारी) को उसी के शासन-काल में बुध, सूर्य,
चन्द्र और मंगल मिलकर नष्ट करने का संकल्प लेंगे।
वर्तमान प्रमादी नाम सम्वत् – 2077 का अधिपति बुध, मंत्री-चन्द्रमा, रक्षा-मंत्री मंगल तथा फलेश (फलदाता) सूर्य हैं।
ऐसी योगायोग में दीपदान से कोराना जैसे अंधकार को दूर करने में मदद मिलेगी।
दीप प्रज्वलन के साथ ” ॐ “ प्रणव मंत्र का ९ मिनट तक स्व स्वर जप इस मुहूर्त को महा अमृत फल दायी बना देगी!
ये क्षण में यदि किसी भी गृह में संकल्पना के साथ ९ दीपक का प्रज्वलन होने से ये क्षण और भी प्रभावी बन जायेगा!
दीप प्रज्वलन के साथ ” ॐ “ प्रणव मंत्र का ९ मिनट तक स्व स्वर जप इस मुहूर्त को महा अमृत फल दायी बना देगी!
९ दीपक में से ३ दीपक घी का , ३ दीपक तिल के तेल का व् तीन दीपक राइ अर्थात
सर्षों के तेल का होने से अत्यंत प्रभावी बन जाएगा!
राइ अर्थात सर्षों के तेल का दीपक सु स्वास्थ के लिए ,
तिल के तेल का दीपक शांतिपूर्ण परिवेश के लिए एवं घी का दीपक समृद्धि एवं
उर्जा के लिए प्रज्वलित किये जाना आवश्यक है!
साथ साथ घी के दीपक में थोडा सा कर्पुर व् तिल तेल के दीपक में लवंग डालकर इसकी प्रज्वलन करने से
संदर्भिय ग्रह शनिदेव व् गुरु बृहस्पति ग्रह को प्रसन्नता प्राप्त होगी!
इसी के साथ “ॐ” प्रणव मन्त्र का जप इसी क्षण को महा अमृत फल दायी बना देगी!
“ॐ श्रीराम रामयः नमः”
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