धर्म
भारतीय वैदिक संस्कृति की धरोहर माँ “शारदा पीठ” आज तक पाक अधिकृत कश्मीर में! कब होंगे पुनरुद्धार?
प्राचीन भारतीय वैदिक संस्कृति की धरोहर माँ “शारदा पीठ” आज तक पाक अधिकृत कश्मीर में! कब होंगे पुनरुद्धार? अखंड भारत की कल्पना करे तो यह एक विशाल देश था; परन्तु जैसे जैसे समाज विकशित होने लगा वैसे वैसे समाज में बिबिध प्रकार की विभाजन भी हुआ! ये बिभाजन प्रत्यक्ष रूप से दिखने लगे भारत की बिभिन्न प्रान्त की भाषा में , समाज की आंचलिक बोली पर , एवं इसीके साथ साथ सनातन भारतीय संस्कृति की वैदिक धरोहर रहे अनेक प्राचीन व् अत्यंत महत्वपूर्ण पीठ व मंदिर भी इस देश की मुख्य धारा धरा से बिछड़ गए! आज की पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में अत्यंत जर्जर अवस्था में अवस्थित "माँ शारदा देवी पीठ" अर्थात "शारदा पीठ" इसी परंपरा की एक जीता जागता उदहारण है!
आयुर्वेद संकल्पना एवं पंचकर्म – कैसे बिताये स्वास्थ्यकर व् निरोगी जीवन? भाग-२
आयुर्वेद संकल्पना एवं पंचकर्म - कैसे बिताये स्वास्थ्यकर व् निरोगी जीवन??? इससे पहले हमने आयुर्वेद और पंचकर्म की प्रारंभिक चर्चा की है । अब हम पंचकर्म की विस्तार से चर्चा करेँगे I पंचकर्म: चय- अपचय क्रिया , आहार एवं जड़ीबूटी औषधियों के द्वारा शरीर की करनेवाली शुद्धिकरण प्रक्रिया अर्थात पंचकर्म Iजीर्ण व्याधियोंको दूर करने के लिए अर्थात दीर्घकालीन रोगों से मुक्ति पानेके लिए पंचकर्म चिकित्सा का प्रयोग किया जाता है Iशरीरसे त्याग किये हुए पदार्थ बाहर निकलनेसे शरीर शुद्ध हो जाता है ! और; मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है Iआयुर्वेद के अनुसार पंचकर्म शब्द की व्युत्पत्ति पंच + कर्म से होती है । पांच प्रकार के उपचार कर्म अर्थात पंचकर्म ।
धर्म माणसांना जोडतो, तोडत नाही – सरसंघचालक श्री मोहन भागवत!
धर्म माणसांना जोडतो, तोडत नाही – सरसंघचालक श्री मोहन भागवत! धर्म माणसांना जोडण्याचे कार्य करतो, तोडत नाही. धर्म हा अर्थ आणि काम या पुरुषार्थांची पूर्तता करताना शिस्तीच्या मार्गाने मनुष्याला मोक्षाकडे घेऊन जातो. सृष्टीला परमात्म्याशी जोडणारा धर्मच आहे. कालानुरूप त्याचे नवे रूप आज पहायला मिळते आहे.
वास्तु देव को कैसे करे संतुष्ट? वास्तुदेव की उत्पत्ति कैसे हुई, उनका मूल स्वरूप व् मन्त्र क्या है!
वास्तु देव को कैसे करे संतुष्ट? वास्तुदेव की उत्पत्ति कैसे हुई, उनका मूल स्वरूप व् मन्त्र क्या है!निवास स्थान अर्थात जिस भूमि पर हम निवास करते हैं, उसे ही वास्तु के स्वरुप में जाना जाता है।किसी भी निवास स्थान का वास्तु शुभ अत्यंत शुभ होना आव्यश्यक होता है ,एक अच्छे पारिवारिक जीवन बिताने के लिए! निवासस्थान में वास्तु का प्रभाव शुभ रहने परउन स्थान के निवासियों को अपार पारिवारिक सुख-सौभाग्य और धन समृद्धि प्राप्त होता है,वहीँ पर किसी भी अशुभ वास्तु स्थान अथवा दोष युक्त वास्तु स्थान में निवास करने का परिणाम अत्यंत हानिकारक होता हैं।
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मकर संक्रांति में राशी के अनुसार कौनसि वस्तुओ का दान करने पर मिलता शनि देव की कृपा!
मकर संक्रांति में आपके राशी के अनुसार कौनसि वस्तुओ का दान करने पर मिलता शनि देव की कृपा!
जानिए कि मकर संक्रांति के दिन आपनी आपनी राशि के अनुसार कौन कौनसी चीज का दान करना चाहिए!
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मकर संक्रांति क्या है ? जानिए इसकी महत्व व् पूजा विधि!
कब है मकर संक्रांति ? १४ या फिर १५ जनवरी! जानिए; इसकी महत्व व् पूजा विधि!सनातन हिन्दू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्योहार मकर संक्रांति का स्थान हिंदू धर्म में अत्यंत विशेष है।प्रति वर्ष यह त्योहार जनवरी महीने की 13 या 14 तारीख को ही आता है। परन्तु , इस साल अर्थात; सन 2020 में मकर संक्रांति का त्योहार इस बार न तो 13 को और न ही 14 को है।इस वर्ष मकर संक्रांति का पावन पर्व १५ जनवरी होने जा रहा है !मकर संक्रांति का ये विशेष पर्व सूर्य देव को समर्पित है।