मनरेगा के तहत 2017-18 में 86 फीसदी मजदूरी का भुगतान समय से किया गया!
समाज विकास संवाद!
न्यू दिल्ली ,
मनरेगा में 86 फीसदी मजदूरी का भुगतान समय से किया गया!
मनरेगा के तहत, अप्रैल से जून 2017 में खासकर जल संरक्षण कार्यों में दिहाड़ी मजदूरों की
मांग बढ़ी है। लगभग 75 करोड़ व्यक्ति के लिए पहले से ही काम उपलब्ध है और
15 जुलाई 2017 तक इसके बढ़ने की संभावना है। इसका अर्थ है कि मनरेगा के तहत
देश के अलग-अलग हिस्सों में लगभग 80 लाख से 1 करोड़ लोग प्रतिदिन काम कर रहे हैं।
इनमें से 86 फीसदी से ज्यादा लोगों को 15 दिन के भीतर भुगतान किया है।
पिछले सालों के मुकाबले यह महत्वपूर्ण सुधार है। 99 फीसदी भुगतान इलेक्ट्रॉनिक
वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (ई-एफएमएस) के जरिये किया जाता है। केन्द्र सरकार ने समय से
कोष प्रदान करना सुनिश्चित किया है और राज्यों ने समय पर भुगतान करने के लिए
कार्यान्वयन प्रणाली को सुदृढ़ किया।
कृषि और उससे जुड़ी गतिविधियों पर बल देने के लिए कार्यक्षेत्र पर 74 फीसदी व्यय किया
जा रहा है। प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन ने जल संचयन और जल संरक्षण के लिए 2,264 जल ब्लॉकों
पर विशेष ध्यान दिया। पूरे देश भर में वर्तमान वित्तीय वर्ष में 2.62 लाख जल संरक्षण के
कामों को पूरा किया गया जिसमें 1,31,789 खेत तालाब भी शामिल है।
आकलन आर्थिक विकास संस्थान (आईईजी), नई दिल्ली द्वारा किया गया।
पिछले दो वर्षों में मनरेगा ने 91 लाख हैक्टेयर से ज्यादा सिंचाई क्षमता का सृजन किया,
जिसका हाल ही में आकलन आर्थिक विकास संस्थान (आईईजी), नई दिल्ली द्वारा किया गया।
जिसकी रिपोर्ट 30 सितम्बर 2017 तक आने की संभावना है।
मनरेगा की 1.45 करोड़ परिसंपत्तियां भू-चिन्हित और पब्लिक डोमेन में है।
आधार आधारित भुगतान प्रणाली (एबीपीएस) से पहले से ही 5.2 करोड़ कामगार जुड़े हैं और
नरेगा सॉफ्ट एमआईएस में 9 करोड़ से ज्यादा कामगारों ने अपनी आधार की जानकारियों को
जोड़ने पर सहमति दी। 87 फीसदी जॉब कार्डों को सत्यापित किया जा चुका है और
1.1 करोड़ जॉब कार्डों को कारणों की वजह से रद्द कर दिया गया। वंचित घरों को
काम देने के लिए 89 लाख नये जॉब कार्डों के पंजीकरण को सुनिश्चित किया गया।
स्वतंत्र सामाजिक लेखा-परीक्षा इकाइयों का 24 राज्यों में गठन किया गया और
राज्यों के 3100 संसाधन व्यक्तियों को सामाजिक लेखा-परीक्षा के लिए प्रशिक्षण दिया गया।
गांव के संसाधन व्यक्तियों के रूप में महिला स्वयं सहायता समूह को बड़े स्तर पर
सामाजिक लेखा-परीक्षा के लिए प्रशिक्षण दिया गया। 19 राज्यों में बेयर फूट तकनीशियनों
(बीएफटी) ने कार्यक्षेत्र के स्तर पर तकनीकी सहायता का प्रशिक्षण दिया।
सभी कार्यस्थलों पर सार्वजनिक सूचना और नागरिक सूचना केन्द्रों हो!
सभी कार्यस्थलों पर सार्वजनिक सूचना और नागरिक सूचना केन्द्रों हो यह सुनिश्चित करने पर
जोर दिया गया। रिकार्ड के रख-रखाव का सरलीकरण किया गया और 90 फीसदी से ज्यादा
ग्राम पंचायतें सरलीकरण के लिए सात रजिस्टारों को अपना चुकी है।
मनरेगा कर्मचारियों को कौशल विकास के जरिए डीडीयूजीकेवाई के तहत दिहाड़ी मजदूरी और
राज्यों में ग्रामीण स्व-रोजगार प्रशिक्षण संस्थान (आरईएसटीआई) बैंक श्रृंखला के जरिये
स्व-रोजगार के लिए प्रभावी तरीके से काम कर रहा है।
गरीबों घरों की आर्थिकी को बेहतर बनाने के लिए महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों के जरिये,
आजीविका की विविधता के लिए मनरेगा पर जोर दिया।
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