प्राचीन भारत की झलक – इतिहास का दौर!
Glimpses of ancient India – a period of history! (Part-1).
समाज विकास संवाद !
मुंबई,
प्राचीन भारत की झलक – इतिहास का दौर – समाज विकास संवाद!
हड़प्पा सभ्यता के बाद डेढ़ हजार वर्षो के लंबे अंतराल में उपमहाद्वीप के विभिन्न भागों में
कई प्रकार के विकास हुए। यही वह काल था जब सिधु नदी और इसकी उप नदियों के
किनारे रहने वाले लोगों द्वारा ऋग्वेद का लेखन किया गया। उत्तर भारत, दक्कन पठार क्षेत्र
और कर्नाटक जैसे उपमहाद्वीप के कई क्षेत्रों में कृषक बस्तियाँ अस्तित्व में आईं।
साथ ही दक्कन और दक्षिण भारत के क्षेत्रों में चरवाहा बस्तियों के प्रमाण भी मिलते हैं।
ईसा पूर्व पहली सहस्राब्दि के दौरान मध्य और दक्षिण भारत में शवों के अंतिम संस्कार के
नए तरीके भी सामने आए, जिनमें महापाषाण के नाम से ख्यात पत्थरों के बड़े-बड़े ढाँचे मिले हैं।
कई स्थानों पर पाया गया है कि शवों के साथ विभिन्न प्रकार के लोहे से बने उपकरण और हथियारों
को भी दफनाया गया था।
ईसा पूर्व छठी शताब्दी से नए परिवर्तनों के प्रमाण मिलते हैं।
शायद इनमें सबसे ज्यादा मुखर आरंभिक राज्यों, साम्राज्यों और रजवाड़ों का विकास है।
इन राजनीतिक प्रक्रयाओं के पीछे कुछ अन्य परिवर्तन थे। इनका पता कृषि उपज को
संगठित करने के तरीके से चलता है। इसी के साथ-साथ लगभग पूरे उपमहाद्वीप में
नए नगरों का उदय हुआ।
प्राचीन भारत की झलक ! भारतीय अभिलेख विज्ञान में एक उल्लेखनीय प्रगति 1830 के दशक में हुई!
इतिहासकार इस प्रकार के विकास का आकलन करने के लिए अभिलेखों, ग्रंथों,
सिक्कों तथा चित्रों जैसे विभिन्न प्रकार के स्रोतों का अध्ययन करते हैं। जैसा कि हम आगे पढ़ेंगे,
यह एक जटिल प्रक्रिया है, और आपको यह भी आभास होगा कि इन स्रोतों से विकास की
पूरी कहानी नहीं मिल पाती है।
1- प्रिंसेप और पियदस्सी
भारतीय अभिलेख विज्ञान में एक उल्लेखनीय प्रगति 1830 के दशक में हुई,
जब ईस्ट इंडिया कंपनी के एक अधिकारी जेम्स प्रिंसेप ने ब्राह्मी और खरोष्ठी लिपियों का अर्थ
निकाला। इन लिपियों का उपयोग सबसे आरंभिक अभिलेखों और सिक्कों में किया गया है।
प्रिसेप को पता चला कि अधिकांश अभिलेखों और सिक्कों पर पियदस्सी,
यानी मनोहर मुखाकृति वाले राजा का नाम लिखा है।
कुछ अभिलेखों पर राजा का नाम अशोक भी लिखा है। बौद्ध ग्रंथों के अनुसार अशोक
सर्वाधक प्रसिद्ध शासकों में से एक था। इस शोध से आरंभिक भारत के राजनीतिक इतिहास
के अध्ययन को नयी दिशा मिली, क्योंकि भारतीय और यूरोपीय विद्वानों ने उपमहाद्वीप पर
शासन करने वाले प्रमुख राजवंशों की वंशावलियों की पुनर्रचना के लिए विभिन्न भाषाओं में
लिखे अभिलेखों और ग्रंथों का उपयोग किया।
बीसवीं सदी के आरंभिक दशकों तक उपमहाद्वीप के राजनीतिक इतिहास!
परिणामस्वरूप बीसवीं सदी के आरंभिक दशकों तक उपमहाद्वीप के राजनीतिक इतिहास का
एक सामान्य चित्र तैयार हो गया। उसके बाद विद्वानों ने अपना ध्यान राजनीतिक इतिहास के
संदर्भ की ओर लगाया और यह छानबीन करने की कोशिश की कि क्या राजनीतिक परिवर्तनों और
अर्थिक तथा सामाजिक विकासों के बीच कोई संबंध था। शीघ्र ही यह आभास हो गया कि इनमें
संबंध तो थे लेकिन संभवत: सीधे संबंध हमेशा नहीं थे।
…
Samaj Ki Vikas, Samaj Samvad, Samaj Ka Samvad, Samaj Ki Samvad, Vikas,
Vikas Samvad, Vikas Ka Samvad, Vikas Ki Samvad, Samvad Vikas Ki,
Bharat Ki Vikas, Bharat Vikas Samvad, Social Development News, Social News,
Society News, News of Development, Development News,
Samaj, Samaj vikas, Samaj Samvad, vikas, Vikas Samvad, Samvad,
समाज, समाज विकास, समाज संवाद, विकास, विकास संवाद, संवाद,
व्यापार संवाद, आयुर्वेद संवाद, गैजेट्स संवाद, समाज विकास संवाद
[…] samaj vikas, samaj samvad, vikas, vikas samvad, […]
[…] प्राचीन भारत के मान्यता – सात महामानव जो हजारों वर्षों से हैं जीवित! […]