बांबे से पेशावर तक चलने वाली पंजाब मेल ने पूरे किए गौरवशाली यात्रा की 105 वर्ष !
The Punjab Mail, running from Bombay to Peshawar completed a glorious journey of 105 years!
समाज विकास संवाद!
मुंबई।
बांबे से पेशावर तक चलने वाली पंजाब मेल ने पूरे किए गौरवशाली यात्रा की 105 वर्ष, पंजाब मेल – 1930 के मध्य में पंजाब मेल में तृतीय श्रेणी का डिब्बा लगाया गया, बांबे से पेशावर तक चलने वाली पंजाब मेल कब प्रारंभ हुई यह स्पष्ट नहीं है,
लेकिन 1911 के लागत अनुमान कागजात एवं 12 अक्टूबर 1912 को दिल्ली स्टेशन पर
पंजाब मेल के कुछ मिनट देरी से पहुंचने पर एक यात्री द्वारा की गई शिकायत के आधार पर
यह कहा जा सकता है कि पंजाब मेल ने अपनी पहली यात्रा बेलार्ड पियर मोल स्टेशन से
01 जून 1912 को प्रारंभ की।
पंजाब मेल, प्रसिध्द फ्रंटियर मेल से 16 साल पुरानी है। बेलार्ड पियर मोल स्टेशन जीआईपी रेल
की सेवाओं का एक स्टेशन था। पंजाब मेल को उस समय पंजाब लिमिटेड कहा जाता था,
जो 1 जून 1913 को भाप के इंजन से प्रारंभ की गई। प्रारंभ में पी एंड ओ स्टी मर्स पर
पंजाब मेल को लाया गया। जिसके साथ औपनिवेशिक भारत में प्रथम नियुक्ति पर
आने वाले ब्रिटिश राज्य के अधिकारी अपनी पत्नियों के साथ उपस्थित थे,
क्योंकि ब्रिटिश अधिकारियों के पास मुंबई तक की समुद्र यात्रा तथा साथ ही
मुंबई में उतरने के बाद अपनी तैनाती के स्थिल तक रेल से जाने के लिए
अंतर्देशीय यात्रा के टिकट मौजूद थे।
पंजाब मेल – सवारी डिब्बों की क्षमता केवल 96 यात्रियों की थी।
मुंबई में उतरने के बाद वे मद्रास, कलकत्ता या दिल्ली कहीं भी अपनी तैनाती स्थल पर जा सकते थे।
उस समय की गाडिय़ों में पंजाब मेल या पंजाब लिमिटेड एक प्रतिष्ठित गाड़ी थी।
पंजाब लिमिटेड मुंबई के बेलार्ड पियर मोल स्टेाशन से जीआईपी रूट के माध्यम से
निश्चित डाक दिनों पर सीधे पेशावर तक जाती थी तथा लगभग 47 घंटों में 2496 किमी की
दूरी तय करती थी।
इस गाड़ी में छह डिब्बे थे। तीन यात्रियों के लिए तथा तीन दिन डाक के सामान के लिए।
इन सवारी डिब्बों की क्षमता केवल 96 यात्रियों की थी। इन शानदार शयनयानों में
सभी गलियारों वाले शयनयानां को, जिन्हें प्रथम श्रेणी के रूप में बनाया गया था,
जिसमें प्रत्येक कंपार्टमेंट में दो शायिकाएं थीं। चूंकि यह उच्च श्रेणी के यात्रियों के लिए थे।
इसलिए इसमें सुसज्जित खान-पान की व्यवस्थाएं, शौचालय, प्रसाधन, स्नानगृह तथा
रेस्टोंरेंट के अलावा गोरे साहबों के सामान तथा नौकरों के लिए एक कंपार्टमेंट भी था।
विभाजन के पूर्व की अवधि में पंजाब लिमिटेड ब्रिटिश भारत की सबसे तेज रफ्तार गाड़ी थी।
पंजाब मेल – 1930 के मध्य में पंजाब मेल में तृतीय श्रेणी का डिब्बा लगाया गया।
पंजाब लिमिटेड के मार्ग का बड़ा हिस्सा जीआईपी रेल पथ पर से इटारसी, आगरा, दिल्ली,
अमृतसर तथा लाहौर से गुजरता था तथा पेशावर छावनी में समाप्तई हो जाता था।
इस गाड़ी ने 1914 से बंबई वीटी (अब छत्रपति शिवाजी टर्मिनस मुंबई) से प्रस्थान करना
एवं पहुंचना प्रारंभ किया। बाद में इसे पंजाब लिमिटेड के स्थान पर पंजाब मेल कहा जाने लगा
और इसकी सेवाएं दैनिक कर दी गई। प्रारंभ में इसकी सेवाएं उच्चे श्रेणी के गोरे साहबों के लिए थी,
लेकिन बाद में इसमें निम्न श्रेणी को भी प्रवेश दिया जाने लगा। 1930 के मध्य में पंजाब मेल में
तृतीय श्रेणी का डिब्बा लगाया गया।
1914 में बांबे से दिल्ली का जीआईपी रूट 1,541 किमी था, इसमें यह गाड़ी 29 घंटा 30 मिनट
में पूरा करती थी। 1920 के प्रारंभ में 18 मध्य वर्ती स्टेशनों पर रूकने के बाद भी इसके
समय को घटाकर 27 घंटा 10 मिनट किया गया। 1972 में गाड़ी फिर से 29 घंटे लेने लगी।
सन् 2011 में पंजाब मेल 55 मध्यवर्ती स्टेशनों पर रूकने लगी।
1945 में पंजाब मेल में वातानुकूलित शयनयान लगाया गया। थल घाट के विद्युतीकरण
के पश्चांत इस गाड़ी को बंबई वीटी से मनमाड तक विद्युत इंजन द्वारा चलाया जाता था।
मनमाड से डब्यूत पी श्रेणी के भाप इंजन द्वारा यह गाड़ी सीधे फिरोजपुर तक जाती थी।
पंजाब मेल – डीजल इंजन नई दिल्ली तक चलने लगा!
1968 में इस गाड़ी को डीजल इंजन से झांंसी तक चलाया जाने लगा तथा इसके
डिब्बों की संख्याी 12 से 15 कर दी गई। बाद में डीजल इंजन नई दिल्ली तक चलने लगा और
1976 में यह फिरोजपुर तक जाने लगा। डिब्बों की संख्या बढ़ाकर 18 कर दी गई,
दो डिब्बे झांंसी से लगाए जाने लगे। 1970 के अंत या 1980 के प्रारंभ में पंजाब मेल
भुसावल तक विद्युत कर्षण पर डब्यू्ब सीएम/1 ड्यूल करंट इंजन द्वारा चलाई जाने लगी।
जिसमें इगतपुरी में डीसी से एसी कर्षण बदलता था।
पंजाब मेल मुंबई से फिरोजपुर छावनी तक की 1930 किमी तक की दूरी 34 घंटों में पूरी करती है।
अब इसमें रेस्टोुरेंट कार के स्थाएन पर पेंट्रीकार लगाई जाती है।
वर्तमान में इसमें एक वातानुकूलित प्रथम श्रेणी सह वातानुकूलित द्वितीय श्रेणी शयनयान,
एक वातानु?कूलित द्वितीय श्रेणी शयनयान, 5 वातानुकूलित तृतीय श्रेणी शयनयान, 10 शयनयान,
एक भोजनयान, तीन सामान्यी द्वितीय श्रेणी के डिब्बेन तथा 2 सामान्य0 द्वितीय श्रेणी के
डिब्बेव सह गार्ड ब्रेकयान है।
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