धसई बना देश का पहला कैशलेस गांव – प्रधानमंत्री मोदी का सपना सकारात्मकता की और!
Dhasai becomes the country’s first cashless village – Prime Minister Modi’s dream of positivity!
समाज विकास संवाद!
अरविन्द यादव,
मुंबई।
धसई बना देश का पहला कैशलेस गांव – प्रधानमंत्री मोदी का सपना सकारात्मकता की और!
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल लेने- देन पर जोर देने के आग्रह के बीच ठाणे जिले का
धसई गांव देश का पहला नकदी रहित (कैशलेस) गांव बन गया है।
महाराष्ट्र के वित्त मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने धसई गांव पहुंचकर अपने डेबिट कार्ड से
अनाज खरीदकर गांव में कैशलेस उपक्रम की शुरुआत की।
इस गांव में व्यापारी, सब्जी और फल विक्रेता और अन्य वस्तु और सेवा प्रदान करने वाले
नकदी रहित लेन-देन के लिए स्वाइप मशीनों का उपयोग कर रहे हैं।
सुधीर मुनगंटीवार ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काला धन विरोधी मुहिम के तहत
पांच और एक हजार के नोट को बंद करने का क्रांतिकारी निर्णय लिया है।
भ्रष्टाचार और आतंकवाद के खात्मे के लिए पीएम मोदी ने जो सपना देखा है,
उसी के तहत मुहिम को आगे बढ़ाया जा रहा है। इसी प्रक्रिया में धसई गांव का
देश का पहला कैशलैस गांव बनना, महाराष्ट्र के वित्त मंत्री के रूप में मेरे लिए गौरव की बात है।
महाराष्ट्र को देश का पहला कैशलेस राज्य बनाने का प्रयास!
भविष्य में महाराष्ट्र के अधिकांश गांवों को कैशलेस बनाकर संपूर्ण महाराष्ट्र को देश का
पहला कैशलेस राज्य बनाने का प्रयास किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि धसई के देश के पहले कैशलैस गांव के रूप में सामने आने से
महाराष्ट्र का सम्मान बढ़ा है।
इस तरह के उपक्रम अन्य जिलों में ही, बल्कि देश के सभी जिलों के लिए आदर्श और
प्रेरणादायी हैं।
धसई गांव में एक दिसंबर को आयोजित कार्यक्रम में वित्त मंत्री सुधीर मुनगंटीवार के अलावा
बैंक ऑफ बदौड़ा के महाप्रबंधक नवतेज सिंह, वीर सावरकर प्रतिष्ठान के रणधीर सावरकर,
विधायक किशन कथोरे प्रमुख रूप से उपस्थिति थे।
इस दौरान मुनगंटीवार ने खुद के डेबिट कार्ड का उपयोग कर कैशलेस गांव उपक्रम की
शुरुआत की। इसके बाद उन्होंने गुरुकृपा स्टोर्स में जाकर वहां स्वाइप मशीन और
अन्य व्यवस्थाओं का भी जायजा लिया।
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ठाणे जिले की मुरबाड तहसील के धसई गांव।
ठाणे जिले की मुरबाड तहसील के धसई गांव की आवादी 10 हजार है।
आसपास के 60 छोटे गांव रोजमर्या के सामान की खरीदारी इसी गांव से करते हैं।
बैंक ऑफ बदौड़ा के सहयोग से गांव को कैशलेस बनाने का उपक्रम हाथ में लिया गया।
गांवों के लोगों को जनधन खाते खोलने पर पहले से ही डेबिट कार्ड उपलब्ध करा दिए गए हैं।
39 स्वाइप कार्ड मशीन खरीदने के आवेदन मिले हैं, इनमें वडा पाव बेचने वाले विक्रेता भी हैं।
जिन दुकानदारों के बैंक अकाउंट नहीं थे, उनके त्वरित गति से अकाउंट खोले गए।
इस काम में बैंक ऑफ बदौड़ा की टीम ने लगातार परिश्रम किया।
इस गांव को कैशलेस बनाने में एनजीओ वीर सावरकर प्रतिष्ठान ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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