बदलेगा इ वि एम् वोटिंग यंत्र – जानिए ईस मशीन से छेरछार का सच।
The EVM voting machine will change from Lok Sabha – know the truth of the splash with this machine.
समाज विकास संवाद!
न्यू दिल्ली ,
ई वी एम अर्थात एलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन यंत्र, लोकसभा से बदलेगा इ वि एम् वोटिंग यंत्र – जानिए ईस मशीन से छेरछार का सच, इ वि एम् मशीन से छेरछार का सच।
ई वी एम अर्थात एलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन यंत्र।
भारत मे पहले चुनाव मे मतदान ग्रहण की प्रक्रिया कागज की ब्यालट पेपर के जरिये होता था।
किन्तु , समय के बदलाव के साथ साथ उपलब्ध तांत्रिक सुबीधाओं की बढ़ोतरी हुई।
ब्यालट पेपर के जरिये मतदान की प्रक्रिया को सम्पन्न करने मे करीब 3 दिन से लेकर हफ्ते भर से ज्यादा वक्त लगता था।
ये परिस्थिति देश आर्थिक व सरकारी यंत्रणा पर भरी बोझ के रूप मे परेशानी दायक होता था।
ऐसी परिस्थिति को बदलने के लिए एवं मूलभूत परिबर्तन के लिए भारतीय चुनाव आयोग ने तांत्रिक मतदान ग्रहण प्रक्रिया को अपनाया एवं
ई वी एम अर्थात एलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन यंत्र के जरिये मतदान प्रक्रिया को सम्पन्न करने का फैसला किया।
लोकसभा में इ वि एम् बदलेगा वोटिंग यंत्र।
आनेवाले लोकसभा में इ वि एम् बदलेगा वोटिंग यंत्र; इस के साथ जुरने वाले है
पेपर स्लिप मशीन ; ताकि किसी भी प्रकार की संदेह के वक्त; इस पेपर स्लिप के बॉक्स को
खोल कर आलग से मतदान की गिनती की जा सके ! उत्तर प्रदेश चुनाव में भारी हार के बाद
बसपा की नेत्री मायावती एवं आम आदमी पार्टी के अरविन्द केजरीवाल द्वारा लगाये गए आरोप
के बाद चुनाव आयोग ने ये खुलाशा किया !
दर असल पिछले मार्च २०१६ में ही इस यंत्र को और उन्नत करने के लिए भाजपा
लोकसभा सदस्य किरीट सोमाया ने चुनाव आयोग को एक पत्र द्वारा इस के बारे में मांग किये थे !
इस यंत्र को शत प्रतिसाद दुरुस्ती के लिए भाजपा नेता सुब्रह्मनियम स्वामी ने वर्ष २०१३ में ही
चुनाव आयोग के पास ये सुझाव रखा था ! इस सुझाव को मानते हुए पंत प्रधान नरेन्द्र मोदी जी
के नेतृत्व बाली केंद्रीय सरकार ने ५००० करोर रूपया की मंजूरी पिछले वर्षो में ही दे दी थी !
उल्लेखनीय है की इस बार की उत्तर प्रदेश सहित ५ राज्य के चुनाव में इस नए एवं
उन्नत इ वि ऍम मचिन का प्रयोग भी हुआ है !
इ वि एम् वोटिंग_यंत्र! जानते है इ वि एम् मशीन से छेरछार की आरोप का सच्चाई।
- ईवीएम में इंटरनेट का कोई कनेक्शन नहीं होता है, इसलिए इसे ऑनलाइन होकर हैक नहीं किया जा सकता।
- किस बूथ पर कौन सा ईवीएम जायेगा, इसके लिए रैंडमाइजेसन की प्रक्रिया होती है, अर्थात् सभी ईवीएम को पहले लोकसभा; फिर विधानसभा और सबसे अंत में बूथवर निर्धारित किया जाता है; और पोलिंग पार्टी को एक दिन पहले डिस्पैचिंग के समय ही पता चल पाता है -कि उसके पास किस सीरिज का ईवीएम आया है। ऐसे में अंतिम समय तक पोलिंग पार्टी को पता नहीं रहता कि उनके हाथ में कौन सा ईवीएम आने वाला है।
- बेसिक तौर पर ईवीएम में दो मशीन होती है, बैलट यूनीट और कंट्रोल यूनीट.
- वर्तमान में इसमें एक तीसरी यूनिट वीवीपीएटी भी जोड़ दिया गया है, जो सात सेकंड के लिए मतदाता को एक पर्ची दिखाता है!
- जिसमें ये उल्लेखित रहता है कि मतदाता ने अपना वोट किस अभ्यर्थी को दिया है।
- ऐसे में अभ्यर्थी बूथ पर ही आश्वस्त हो सकता है कि उसका वोट सही पड़ा है कि नहीं।
- वोटिंग के पहले सभी ईवीएम की गोपनीय जांच की जाती है; और सभी तरह से आश्वस्त होने के बाद ही ईवीएम को वोटिंग हेतु प्रयुक्त किया जाता है।
इ वि एम् वोटिंग_यंत्र! वोटिंग के दिन सुबह मतदान शुरु करने से पहले मतदान केन्द्र पर मौजूद रहते है राजनैतिक दल के लोग।
- सबसे बड़ी बात वोटिंग के दिन सुबह मतदान शुरु करने से पहले मतदान केन्द्र की पोलिंग पार्टी द्वारा; सभी उम्मीदवारों के मतदान केन्द्र प्रभारी या पोलिंग एंजेट के सामने; मतदान शुरु करने से पहले मॉक पोलिंग की जाती है और सभी पोलिंग एंजेट से मशीन में वोट डालने को कहा जाता है!
- ताकि ये जांचा जा सके कि सभी उम्मीदवारों के पक्ष में वोट गिर रहा है कि नहीं।
- ऐसे में यदि किसी मशीन में टेंपरिंग या तकनीकि गड़बड़ी होगी; तो मतदान के शुरु होने के पहले ही पकड़ ली जायेगी।
- मॉक पोल के बाद; सभी उम्मीदवारों के पोलिंग एंजेट मतदान केन्द्र की पोलिंग पार्टी के प्रभारी को सही मॉक पोल का सर्टिफिकेट देते है।
- इस सर्टिफिकेट के मिलने के बाद ही संबंधित मतदान केन्द्र में वोटिंग शुरु की जाती है। ऐसे में जो उम्मीदवार ईवीएम में टैंपरिंग की बात कर रहे है- वे अपने पोलिंग एंजेट से इस बारे में बात कर आश्वस्त हो सकते है…
- मतदान शुरु होने के बाद मत ग्रहण केन्द्र में मशीन के पास मतदाताओं के अलावा मतदान कर्मियों के जाने की मनाही होती है, वे ईवीएम के पास तभी जा सकते है; जब मशीन की बैट्री डाउन या कोई अन्य तकनीकि समस्या होने पर मतदाता द्वारा सूचित किया जाता है।
इ वि एम् वोटिंग_यंत्र! मतदान केन्द्र में एक रजिस्टर बनाया जाता है।
- हर मतदान केन्द्र में एक रजिस्टर बनाया जाता है, इस रजिस्टर में मतदान करने वाले मतदाताओं की डिटेल अंकित रहती है!
- रजिस्टर में जितने मतदाता की डिटेल अंकित होती है, उतने ही मतदाताओं की संख्या ईवीएम में भी होती है।
- काउंटिंग वाले दिन इनका आपस मे मिलान मतदान केंद्र प्रभारी (presiding officer) की रिपोर्ट के आधार पर होता है।
- सुप्रीम कोर्ट में ईवीएम टैंपरिंग से संबंधित जितने भी मामले पहले आये उनमें से किसी भी मामले में ईवीएम में टैंपरिंग सिद्व नहीं हो पायी है।
- स्ंवय चुनाव आयोग आम लोगों को आंमत्रित करता है कि वे लोग आयोग जाकर ईवीएम की तकनीक को गलत सिद्व करने हेतु अपने दावे प्रस्तुत करे।
- लेकिन आज तक कोई भी दावा सही सिद्व नहीं हुआ है।
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