शहीद स्मारक- भारत की रक्षा में सर्वस्व न्योछावर करने वाले हर बलिदानी को नमन :प्रधानमंत्री मोदी!
Martyr’s Memorial – A Tribute to every Martyrs life sacrificed in defense of India: PM Modi
समाज विकास संवाद !
नई दिल्ली।
“शहीद स्मारक“- भारत की रक्षा में सर्वस्व न्योछावर करने वाले हर बलिदानी को नमन- प्रधानमंत्री, शहीद स्मारक का कार्य 2014 में शुरू हुआ था, स्मारक की 11 एहम बिंदु की जानकारी एवं शहीद स्मारक में अन्य विशेषताएं!
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में पत्थर से बने शहीद स्तंभ के नीचे ज्योति को प्रज्ज्वलित कर;
40 एकड़ में फैले युद्ध स्मारक को राष्ट्र को समर्पित किया।
दिल्ली के मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में पूर्व सैनिकों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा –
कि देश पर संकट चाहें दुश्मन के कारण आया हो या प्राकृति के कारण आया हो,
हमारे सैनिकों ने सबसे पहले हर मुश्किल को अपने सीने पर लिया है।
हमारे देश की सेना दुनिया की सबसे ताकतवर सेनाओं में से एक है
शहीद स्मारक- स्मारक का कार्य 2014 में शुरू हुआ था!
प्रधानमंत्री ने कहा कि कई दशकों से निरंतर राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की मांग हो रही थी,
कुछ प्रयास हुए लेकिन कोई ठोस कार्य नहीं हुआ!
आपके आर्शीवाद से हमने 2014 में इस स्मारक का कार्य शुरू किया और इस कार्य को तय समय पर पूरा किया।
इस ऐतिहासिक स्थान पर मैं, पुलवामा में शहीद हुए वीर सपूतों,
भारत की रक्षा में सर्वस्व न्योछावर करने वाले हर बलिदानी को नमन करता हूं।
मैं राष्ट्र रक्षा के सभी मोर्चों पर मुश्किल परिस्थितियों में डटे हर वीर-वीरांगना को भी नमन करता हूं।
आज मुझे बहुत संतोष है कि थोड़ी देर बाद आपका और देश का,
दशकों लंबा इतंजार खत्म होने वाला है।
आजादी के सात दशक बाद मां भारती के लिए बलिदान देने वालों की याद में निर्मित राष्ट्रीय समर स्मारक,
उन्हें समर्पित किया जाने वाला है।
शहीद स्मारक- बलिदानी को नमन – प्रधानमंत्री मोदी ! तीन सुपर-स्पेशिऐलिटी-अस्पताल बनेंगे!
शहीद स्मारक- बलिदानी को नमन – प्रधानमंत्री मोदी!
बहुत लंबे समय से आपकी मांग थी कि आपके लिए सुपर स्पेशिऐलिटी अस्पताल बनाया जाए।
आज इस ऐतिहासिक अवसर पर मुझे आपको ये बताने का सौभाग्य मिला है,
कि एक नहीं बल्कि हम ऐसे तीन सुपर स्पेशिऐलिटी अस्पताल बनाने जा रहे हैं।
वन रैंक वन पेंशन के लिए पिछली सरकारों में पूर्व सैनिकों को कितना संघर्ष करना पड़ा!
आंदोलन करना पड़ा, इसका देश साक्षी रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि नया हिंदुस्तान, नया भारत, आज नई नीति और नई रीति के साथ आगे बढ़ रहा है।
मजबूती के साथ विश्व पटल पर अपनी भूमिका तय कर रहा है।
उसमें एक बड़ा योगदान आपके शौर्य, अनुशासन और सर्मपण है।
शहीद स्मारक- 50 देशों की नौसेनाओं ने लिया हिस्सा!
हमारे प्रयासों में दुनिया के बड़े-बड़े देश हमारे साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलना चाहते हैं।
यही कारण है कि 2016 में हमारे इंटरनेशनल फ्लीट रिव्यू में; 50 देशों की नौसेनाओं ने हिस्सा लिया था।
यही कारण है कि एक के बाद एक देश हमारे साथ रक्षा सहयोग के समझौते करना चाहते हैं।
देश की सेना को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में हम लगातार काम कर रहे हैं।
जिन फैसलों को नामुमकिन समझा जाता था, उन्हें मुमकिन बना रहे हैं।
हमने रक्षा उत्पादन के पूरे इको सिस्टम में बदलाव की शुरुआत की है।
लाइसेंसिंग से निर्यात प्रक्रिया तक, हम पूरे तंत्र में पारदर्शिता ला रहे हैं।
देश की सेना का मनोबल, देश की सुरक्षा तय करता है,
इसलिए हमारे सभी प्रयासों में हमारी सोच और हमारे अप्रोच का केंद्र बिंदु हैं हमारे सैनिक, हमारे फौजी भाई।
शहीद स्मारक की 11 एहम बिंदु!
– स्मारक की कुल लागत 176 करोड़ रुपए है।
– एक वैश्विक प्रतिस्पर्धा के माध्यम से इसका डिजाइन चुना गया था।
– मुख्य संरचना को चार चक्रों के रूप में बनाया गया है, जिनमें से प्रत्येक सशस्त्र बलों के विभिन्न मूल्यों को दर्शाया गया है।
– चक्रव्यूह की संरचना से प्रेरणा लेते हुए इसे बनाया गया है।
– इसमें चार वृत्ताकार परिसर होंगे और एक ऊंचा स्मृति स्तंभ भी है, जिसके तले में अखंड ज्योति दीप्तमान रहेगी।
– स्मारक में आजादी के बाद शहीद हुए 25,942 भारतीय सैनिकों के नाम इन पत्थरों पर लिखे गए हैं।
– सशस्त्र बलों के भविष्य के समारोहों के लिए भी यह स्मारक स्थल के रूप में काम करेगा।
शहीद स्मारक में अन्य विशेषताएं!
– आर्टिफिशियल लाइटिंग और वॉकिंग प्लाजा।
– राष्ट्रीय युद्ध स्मारक परिसर में प्रवेश सभी के लिए निशुल्क है।
– अपवाद रूप में मुख्य क्षेत्र और परम योदा स्टाल में समय की पाबंदी होगी। हर शाम रिट्रीट सेरेमनी भी होगी।
– प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 लोकसभा चुनाव के दौरान इसका वादा किया था और 2015 में स्वीकृति दी थी।
– आधिकारिक जानकारी के अनुसार इंडिया गेट के पास 40 एकड़ में बने इस युद्ध स्मारक,
की लागत 176 करोड़ रुपए आई है और यह रिकार्ड एक साल में बनकर पूरा हुआ है।
इसकी 16 दीवारों पर 25,942 योद्धाओं का जिक्र किया गया है।
ग्रेनाइट पत्थरों पर योद्धाओं के नाम, रैंक व रेजिमेंट का उल्लेख किया गया है।
– इन्होंने 1962 के भारत-चीन युद्ध, 1947, 1965, 1971 व 1999 के
भारत-पाकिस्तान युद्ध तथा श्रीलंका में शांति बहाल कराने के दौरान अपना सर्वोच्च बलिदान दिया।
इसका निर्माण गत वर्ष फरवरी में शुरू हुआ था।
प्रधानमंत्री ने रविवार को ‘मन की बात’ कार्यक्रम में युद्ध स्मारक का जिक्र करते हुए कहा था,
कि इसका न होना उन्हें अक्सर दुखी और आश्चर्यचकित करता था।
जलती रहेगी अमर जवान ज्योति
लेफ्टिनेंट जनरल राजेश्वर ने बताया कि; 1971 के भारत-पाक युद्ध में शहीद हुए जवानों की याद में;
इंडिया गेट के नीचे 1972 में प्रज्ज्वलित की गई अमर जवान ज्योति भी जलती रहेगी!
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भारत की रक्षा
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