संघ का एक ही लक्ष्य, जग में हो भारत की जय-जयकार- डॉ मोहन भागवत!
A common goal for the Sangh- Upholding the pride of Mother India: Dr. Mohan Bhagwat
अरविन्द यादव,
समाज विकास संवाद
वाराणसी।
संघ का एक ही लक्ष्य, जग में हो भारत की जय-जयकार, हमारी राष्ट्रीयता समाज की विकास से है किसी सत्ता से नहीं- डॉ मोहन भागवत!
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि हमेशा से हमारा देश
आर्थिक, सामरिक और नैतिक दृष्टिकोण से समृद्ध रहा, लेकिन दूसरों की तरह कभी हमने
किसी देश को लूटा नहीं न ही उस पर विजय पाने का कोई प्रयास किया।
साधनों के अभाव के दौर में भी भारत के लोगों ने दुनिया के दूसरे देशों को आयुर्वेद,
गणित और विज्ञान आदि विधाओं के क्षेत्र में योगदान दिया।
हम कोई शक्ति प्रदर्शन नहीं करते। पूरी दुनिया को जीतो, सभी का दादा बन जाओ,
ऐसा हमें नहीं सिखाया गया। शक्ति का प्रदर्शन होता भी नहीं है, इसका आभास लोगों को
अपने आप हो जाता है। आरएसएस का एक ही लक्ष्य समाज को संगठित करना है।
संगठित करने का तात्पर्य भीड़ जुटाने से नहीं है। न ही यह किसी अहंकार या भय को
दर्शाने का क्रम है। हमारा लक्ष्य एकमात्र है कि
विश्व पटल पर सर्वत्र भारत माता की जय-जयकार हो।
काशी में चल रहे सात दिवसीय संघ समागम!
काशी में चल रहे सात दिवसीय संघ समागम के दौरान भागवत ने सार्वजनिक आयोजन के
तहत संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के मैदान में स्वयं सेवकों को संबोधित कर रहे थे।
संपूर्ण समाज के एकजुट प्रयास से ही भारत की जयकार होगी। सारा समाज जब
भेद व स्वार्थ भुलाकर एक साथ खड़ा होगा तो दुनिया की कोई शक्ति उसे रोक नहीं सकती है।
भारत की समृद्धि और यहा के लोगों की सत्यता व स्वभाव का गुणगान समय-समय पर यहां
बाहर से आने वाले लोगों ने किया है। इस स्थिति तक समाज व राष्ट्र को लाने में एक-एक व्यक्ति
ने योगदान दिया। किसी विशेष विचार, नीति, नारे, सरकार, पार्टी या व्यक्ति से लाभ नहीं होगा।
राष्ट्र के विकास में उद्धारकर्ता की बार-बार आवश्यकता नहीं पड़ती। आज के दौर में भी
हमें यह देखना होगा कि समाज का सामान्य व्यक्ति क्या देश की चिंता करता है।
इस दिशा में लगातार विचार व चिंतन करते रहेंगे, तो देश का विकास होगा।
यह भी देखना होगा कि भारत हमेशा भारत ही रहे।
हमें यह भी देखना होगा कि भारत हमेशा भारत ही रहे। एक प्रसंग सुनाते हुए संघ प्रमुख ने कहा
कि दादा जी ने साइकिल खरीदी थी और उसे चलाया, जिसे बाद में पिता जी को दे गए।
पिता जी ने कैरियर, पैडल, हैंडल चेन आदि बदल दिया और उन्होंने भी उसी साइकिल को चलाया।
बाद में अपने बेटे को दे गए तो बेटे ने फ्रेेम भी बदल डाला। अब इतने बदलाव के बाद भी
वह बेटा जब अपने बेटे को वही साइकिल दे और कहे कि यह दादा जी की साइकिल है,
तो इसमें कितनी सच्चाई होगी। ऐसा ही इस देश के साथ भी हो रहा है, जिसे रोकना होगा।
भागवत ने कहा कि देश को भूमि नहीं लोग बनाते हैं, उसका समाज बनाता है।
भागवत ने कहा कि देश को भूमि नहीं- लोग बनाते हैं, उसका समाज बनाता है।
जैसे हम माता-पिता से संबंध रखते हैं वैसे ही देश के साथ भी आत्मीय संबंध जरूरी है।
मातृभूमि मानेंगे तभी राष्ट्र साकार होगा। दुनिया को भारत सिर चकरा देने वाली भिन्नताओं का
देश दिखता है। हमारे पूर्वजों ने विविधताओं में एकता के संदेश को पहचान लिया था।
विविधता की इस एकता को संजोया और देश को एकाकार बनाए रखा।
विविधता में एकता देखना यही जीवन है। चीजों को संसाधन के तौर पर न देखने की
नसीहत देते हुए संघ प्रमुख ने कहा कि नदी, गाय और धरा हमारी माता है। यह हमें
कुछ न कुछ देती ही हैं। इसलिए इनकी सेवा होनी चाहिए। इस सत्य को समझते हुए जिंदगी जिएंगे,
तो सारे कष्ट मिट जाएंगे। जीवन मूल्यों पर आधारित होना चाहिए।
हमारी राष्ट्रीयता समाज की विकास से है किसी सत्ता से नहीं- मोहन भागवत!
वाराणसी। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने अपने आलोचकों को
करारा जवाब दिया है। मोहन भागवत अपने वाराणसी प्रवास के दौरान
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय परिसर में स्वयंसेवकों को संबोधित कर रहे थे।
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि इन दिनों हमारे बयानों की बड़ी चर्चा होती है।
हम इन चर्चाओं पर तो जरा भी ध्यान नहीं देते हैं। हमको सिर्फ अपने काम पर ध्यान देना है।
हम राष्ट्र भक्त हैं। हमारी राष्ट्रीयता किसी सत्ता से जुड़ी नहीं है। भागवत ने कहा
हमारी राष्ट्रीयता किसी सत्ता से नही जुड़ी है। संघ में केवल देने का काम होता है।
टिकट-विकट नही मिलता। आप केवल खटते रहेंगे, कभी गले में एक माला क्या
एक फूल भी नही पड़ेगा। हम स्वयं सेवक को कुछ मिलना जुलना नही है।
हमको तो राष्ट्र की सेवा करनी है और हम करते ही रहेंगे। हमको किसी से भी कोई अपेक्षा नहीं है।
उन्होंने कहा कि हमको ऐसा भारत खड़ा करना है, जो विश्व पटल पर अपनी शक्ति दिखा सके।
हमको तो भारत का भाग्योदय करना है, लेकिन ऐसा ना हो कि भारत ही बदल जाए।
उन्होंने कहा कि भारत का बड़ा महत्व है। दनिया में अच्छा डॉक्टर खोजना है,
तो लोग भारत के डॉक्टर ढूंढते हैं। हमारे साथ किसी को भी व्यापारिक संबंधों की निगरानी
नही करनी पड़ती है। हम कर्म करते हैं।
…
#समाज_विकास_संवाद,
#समाज_का_विकास, राष्ट्रीय_स्वयं_सेवक_संघ, सरसंघचालक, मोहन_भागवत,
समाज, समाज विकास, समाज संवाद, विकास, विकास संवाद, संवाद,
samaj, samaj vikas, samaj samvad, vikas, vikas samvad, samvad,
Social Development News, Social News, Society News, News Of Development,
व्यापार संवाद, आयुर्वेद संवाद, गैजेट्स संवाद, समाज विकास संवाद
[…] 50 साल में भारत सर्वोपरी – होंगे “सज्जन शक्ति सर्वत्र” – घोषणा राष्ट्रीय सयंसेवक संघ की। […]
[…] में स्वामी उमकंतानंद सरस्वती एवं सर संघचालक मोहन […]