भारत के छाव में आओ-आपने पूर्वजों के गाँव-विदेश में बसे भारतीय को मूल से जुरने का आह्वान !

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भारत के छाव में आओ-आपने पूर्वजों के गाँव-विदेश में बसे भारतीय को मूल से जुरने का आह्वान !

Come & Visit India! Come to the lap of mother India -Visit your ancestors’ village

समाज विकास संवाद!
न्यू दिल्ली ,

भारत के छाव में आओ-आपने पूर्वजों के गाँव-विदेश में बसे भारतीय को मूल से जुरने का आह्वान, सभ्यता परंपरा के साथ!

सदियों से आक्रांत भारत देश केवल पार्थिव सम्पद को ही नहीं खोया था, वल्कि, इसके सबसे अनमोल धन

मानव सम्पद को भी भारत माता के सिने से छिना गया था इन विदेशी लुटेरों के द्वार!

इन लुटेरो में जैसे प्र्याच्य देशो के शक, हुन्न, पठान, मोगल थे;

ऐसे पाश्चात्य के ओलन्दाज़, स्पेनिश, पोर्तुगीस और इन् सबमे सबसे बर्बर जाती अंग्रेज़ सामिल थे!

इन् सभी लुटेरो में एक साधारण सामान्यता था,

ये सभी ने अमूल्ल्य धन सम्पदा लुटने के साथ ही साथ इस देश की महामुल्ल्य मानव सम्पद को भी लूटकर साथ ले गए

क्रितदाश अथवा बंधा हुआ मजदूर के तरह!

बिगत कई शताब्दी से चलनेवाला इस अमानविक कार्य द्वारा भारतीय मूल के लोग विश्व के बिभिन्न प्रान्त में बस गए

और, पिछले कई शताब्दी से उन उन देश के साथ आपने आपने  भाग्य को जोर लिया!

परन्तु इन सभी उत्तर पीढ़ी आज भी भारत को आपने मूल की तरह ही आग्रह से देखते है!

 

भारत में आकर आपने आपने सभ्यता परंपरा के साथ जुरना!

भारत में आकर आपने आपने सभ्यता परंपरा के साथ जुरना भी चाहते है,

केवल इनकी इस भाबनाओ  को स्वाधीनता से लेकर पांच वर्ष पूर्व तक;

किसी भी राजनैतिक दल ने सद् भावना से देखने का प्रयास नहीं किया!

भारत के छाव में आओ-आपने पूर्वजों के गाँव-विदेश में बसे भारतीय को मूल से जुरने का आह्वान !

लेकिन आजकाल मोदी जी के नेतृत्व वाली सरकार ने सकारात्मकता से इन अत्यंत मानवीय विषय की और देखने का;

कुछ करने का प्रयास कर रहे है,

और इसी के साथ तालमेल राखते हुए पिछले दिनों महाराष्ट्र भाजपा के  उत्तर भारतीय मोर्चा के महासचिव श्री अर्जुन गुप्ता ने;

माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को २४फरवरी २०१८ को पत्र लिखकर निवेदन किया था कि –

२०० वर्ष पहले अंग्रेजों ने उत्तर प्रदेश व बिहार के लोगों को

गिरमिटिया मजदूर बनाकर, मारीशस, जावा, सुमात्रा, फिजी, दक्षिण अफ्रीका ले गए थे!

आज भी उनके परिवार के लोग घरों में गीता, रामायण का पाठ पढ़ाते हैं,

अच्छी भोजपुरी बोलते हैं,उन लोगों की बहुत इच्छा है, अपने पूर्वजों के गांव देखने की,

ऐसे में भारत सरकार का विदेश  व पर्यटन मंत्रालय उन्हें भारत दर्शन कराते तो उत्तम होगा!

 

“भारत की छांव-आओ अपने पुर्वजों के गांव” का स्लोगन!

भारत की छांव-आओ अपने पुर्वजों के गांव” का स्लोगन बना कर,

माननीय प्रधानमंत्री जी व विदेश मंत्रालय को भेजा था!

बनारस कि एक सभा में माननीय प्रधानमंत्री जी ने २१से २३जनवरी प्रवासी भारतीय दिवस मानाने की घोषणा कर,

विश्व में रहने वाले सभी प्रवासी भारतीयों को,

२१ से २३ जनवरी को बनारस बुला कर इस आह्वान को स्वीकृति दिया है !

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