सार्वजनिक जीवन में सत्यनिष्ठा और समर्पण के प्रतीक श्री मनोहर पर्रिकर अब नहीं रहे!

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सार्वजनिक जीवन में सत्यनिष्ठा और समर्पण के प्रतीक श्री मनोहर पर्रिकर अब नहीं रहे!

Mr. Manohar Parrikar is no longer a symbol of integrity and dedication in public life!

समाज विकास संवाद!
मुंबई ,

“सार्वजनिक जीवन में सत्यनिष्ठा और समर्पण के प्रतीक श्री मनोहर पर्रिकर अब नहीं रहे!

गोवा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर पर्रिकर के निधन के बारे में जानकर गहरा दुख हुआ।

उन्होंने दृढ़ता और गरिमा से अपनी बीमारी का सामना किया।

सार्वजनिक जीवन में सत्यनिष्ठा और समर्पण के प्रतीक रहे;  श्री पर्रिकर ने गोवा की और भारत की जो सेवा की है,

वह हमेशा याद रखी जाएगी” – राष्ट्रपति कोविन्द

शनिवार से ही उनकी अचानक शारीरिक परिस्थिति की ख़राब होने लगे थे ,

बिगत कुछ सालो से उनकी शारीरिक परिस्थिति कैंसर जैसे बीमारी से पिरित था!

केंद्र शासन के और से उनकी बिमारी को ठीक करने के लिए अनेक प्रयास हुआ ;

अमेरिका में भी उनकी उपचार करने का प्रयास हुआ;

परन्तु अंत में इन सच्चे राजनैतिक संत इहलोक की सभी माया त्याग कर

परम इश्वर की समीप सायं को सोंप दिए!

राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री श्री नारेंद्द्र मोदी सहित सभी नेतृत्व ने

उनके निधन को अपुरानिय क्षति बताया!

अमेरिका के अस्पताल एवं भारत के एम्स में चल रहा था इलाज!

अमेरिका के अस्पताल एवं भारत के एम्स में चल रहा था इलाज!

पिछले साल की सितंबर में अमेरिका से इलाज करवाकर परिक्कर जी भारत वापस आये थे ,

फिर अचानक दिसम्बर में उनकी तबियत फिर से ख़राब होने के बाद उन्होंने दिल्ली के एम्स में भारती हुए !

एक महीने तक एम्स में उपचार के बाद उन्हें एयर एंबुलेंस के जरिए गोवा में वापस आये एवं फिर तबियत ख़राब होने पर आईसीयू में भर्ती कराया गया!

श्री पर्रिकर जी का कैंसर फरवरी 2018 में एक चेक उप के जरिये डिटेक्ट हुआ,

पता चला की उनको एडवांस्ड पैन्क्रिएटिक (अग्नाशय) कैंसर हुआ था !

राजनैतिक एवं सामाजिक सादगी व् कार्यनिष्ठा के लिए आत्मत्याग का परम उदहरन थे मनोहर परिक्कर !  

एक सच्चे संत के तरह सर्वदा मुस्कराहट से भरा हुआ वो चेहरा सादगी,

ईमानदारी और कर्त्तव्य निष्ठा का चरम पराकाष्ठा थे  मनोहर पर्रिकर !

इतनी कठिन बीमारी से पिरित होने के बाद भी वे आपने कर्त्तव्य को कभी नहीं भूले ,

जीवन के अंतिम क्षण तक इन्होने आपने राजनैतिक दाइत्व बाखूबी निभाए –

इसी संदर्व में इस वर्ष की गोवा के राज्य बजट अधिवेशन में बजट पेश करते हुए उन्होंने कहे थे

परिस्थितियां ऐसी हैं कि विस्तृत बजट पेश नहीं कर सकता लेकिन मैं बहुत ज्यादा जोश और

पूरी तरह होश में हूं  – इसी वक्तव्य से उनकी जिजीविषा का अंदाजा लग जाता है।

 

मनोहर परिक्कर जी के जन्म 13 दिसंबर 1955 को हुआ था!

उनका जन्म 13 दिसंबर 1955 को हुआ था ,

उन्होंने 1978 में आईआईटी बॉम्बे से मेटलर्जिकल इंजिनियरिंग में ग्रैजुएशन की डिग्री

हासिल किये थे ।

वह देश के प्रथम आईआईटी से ग्रैजुएशन की डिग्री हासिल करने वाले मुख्यमंत्री थे।

श्री पर्रिकर पहली बार 1994 में पणजी विधानसभा सीट से निर्वाचित होने के बाद

लगातार चार बार इस सीट से जीतते रहे ,

जो गोवा की राजनैतिक क्षेत्र में एक मिशल है!

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से शिक्षित श्री परिक्कर पूर्णकालिक राजनीती में आये

संघ के अनुमति से !

वह आरएसएस की नॉर्थ गोवा यूनिट में सक्रिय थे।

आम आदमी का सी एम थे मनोहर परिक्कर!

सार्वजनिक जीवन में सत्यनिष्ठा और समर्पण के प्रतीक श्री मनोहर पर्रिकर

आम आदमी का सी एम मनोहर परिक्कर पहली बार वर्ष 2000 में गोवा के मुख्यमंत्री बने।

मुख्यमंत्री के पद पर आसीन होते हुए भी अत्यंत सहजता से आम जनता से संपर्क करते थे ,

आपनी स्कूटर से चलने वाले इन आम आदमी की मुख्या मंत्री केवल गोवा ही नहीं बल्कि

सम्पूर्ण भारत में अत्यंत जनप्रिय थे !

सार्वजनिक जीवन में सत्यनिष्ठा और समर्पण के प्रतीक श्री मनोहर पर्रिकर अब नहीं रहे!

गोवा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर पर्रिकर के निधन के बारे में जानकर गहरा दुख हुआ।

उन्होंने दृढ़ता और गरिमा से अपनी बीमारी का सामना किया।

सार्वजनिक जीवन में सत्यनिष्ठा और समर्पण के प्रतीक रहे;

श्री पर्रिकर ने गोवा की और भारत की जो सेवा की है, वह हमेशा याद रखी जाएगी— राष्ट्रपति कोविन्द

आपने काम के प्रति निष्ठां एवं कठिन परिश्रम ही उनके शारीरिक सक्षमता पर बोझ बन गया था ,

अंत में उनकी सादगी भरी राजनैतिक जीवन गोवा सहित भारत के सभी सच्चे देशबासी को

सम्बेदंशील अश्रु की दो बूंद गिराने में प्रेरणा देते हुए;

राजनीती में सच्चाई एवं निष्ठा की पराकाष्ठा रखने की दाइत्व का स्मरण कराया!

मनोहर परिक्कर जैसे राजनेता कभी मरते नही – मरणोत्तर दृष्टान्त बनकर जीवित रहते है !

समाज विकास संवाद ऐसे संतप्रतिम राजनेता को सजल श्रद्धा अर्पित करता है!

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2 COMMENTS

  1. मनोहर परिकरजी की सादगी और समर्पण के बारे में लिखना यानी सूरज को दीपक बताने जैसा है इस राष्ट्र ने एक युग पुरुष को खो दिया

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