मकर संक्रांति क्या है ? जानिए इसकी महत्व व् पूजा विधि!
When is Makar Sankranti? 14 or 15 January! Know Its Importance and Worship Method!
समाज विकास संवाद!
मुंबई,
मकर संक्रांति क्या है ? जानिए इसकी महत्व व् पूजा विधि, मकर संक्रांति महत्व व् पूजा विधि, कैसे पालन करे मकर संक्रांति ? उत्तरायण पर्व के लिए विशेष मंत्र!
सनातन हिन्दू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्योहार मकर संक्रांति का स्थान हिंदू धर्म में अत्यंत विशेष है।
प्रति वर्ष यह त्योहार जनवरी महीने की 13 या 14 तारीख को ही आता है। परन्तु ,
इस साल अर्थात; सन 2020 में मकर संक्रांति का त्योहार इस बार न तो 13 को और न ही 14 को है।
इस वर्ष मकर संक्रांति का पावन पर्व १५ जनवरी होने जा रहा है !
मकर संक्रांति का ये विशेष पर्व सूर्य देव को समर्पित है।
सूर्य को भारतीय सनातन संस्कृति में आदि काल से ही देव रूप में पूजा जाता रहा है।
हिन्दू संस्कृति के साथ साथ, अन्य संस्कृतियों में भी सूर्य देव स्थान महत्वपूर्ण है।
सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण दिशा बढ़ने का योग में मकर संक्रांति के दिन होते है, यह एक अत्यंत ही शुभ क्षण है।
मकर संक्रांति के दिन भारत के बिभिन्न पवित्र नदियो में स्नान और दान-पुण्य करने से
जीवन के अनेकानेक समस्या का हाल होता है ।
मकर संक्रांति क्या है ?
मकर संक्रांति क्या है ?
जब सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में प्रबेश करते है; इसी घटना को संक्रांति कहते हैं!
यही, एक संक्रांति से दूसरी संक्रांति के बीच का समय ही सौर मास है!
एक जगह से दूसरी जगह जाने अथवा एक-दूसरे का मिलने का समय ही संक्रांति कहलाता है!
एक वर्ष में कुल 12 सूर्य संक्रांति होते हैं, लेकिन इनमें से मेष, कर्क, तुला और मकर संक्रांति प्रमुख मन जाता है !
मकर संक्रांति से सूर्य उत्तरी अक्ष के और गतिशील रहते है अर्थात अयन करते है ,
इसे उत्तरायण का पर्व कहा जाता हैं। प्राचीन वेद की मान्यता अनुसार उत्तरायण देवताओं का अयन होता है।
प्राचीन वेद की मान्यता अनुसार उत्तरायण देवताओं का अयन होता है।
एक वर्ष में दो अयन अर्थात उत्तरायण व् दक्षिणायन होता है !
इनमे उत्तर की दिशा में सूर्य का अयन को उत्तरायण के नाम से जाना जाता है!
इसी दिन से खरमास की समाप्ति होती हैं.
खरमास अर्थात दक्षिणायन के समय किसी भी प्रकार की मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है,
परन्तु मकर संक्रांति के साथ साथ ही शादी-ब्याह, मुंडन, जनेऊ और नामकरण जैसे पवित्र व् शुभ काम की शुरूआत हो जाती हैं.
हिन्दू धर्म के मान्यताओं के अनुसार उत्तरायण में मृत्यु होने से व्यक्ति की मोक्ष प्राप्ति की संभव होता है.
उत्तरायण पर्व की धार्मिक महत्व के साथ ही इस पर्व को प्रकृति से जोड़कर भी देखा जाता हैं
जहां आलोक और ऊर्जा देने वाले भगवान सूर्य देव की श्रद्धाभाव से पूजा अर्चना किया जाता है .
कैसे पालन करे मकर संक्रांति ?
पुराण के व्यख्यान अनुसार भविष्यपुराण के वर्णन से सूर्यदेव के उत्तरायण के दिन संक्रांति व्रत करना चाहिए.
– तिल को हाथ में लेकर पानी में मिलाकार स्नान करना चाहिए. गंगा स्नान करना सर्वोत्तम होता है .
उत्तरायण के दिन तीर्थ स्थान या पवित्र नदियों में स्नान करने का महत्व अधिक है.
स्नान व् टिल अर्पण के बाद भगवान सूर्यदेव की पूजा-अर्चना करनी चाहिए.
मकर संक्रांति पर अवश्य अपने पितरों का ध्यान करना चाहिए एवं उन्हें तर्पण जरूर देना चाहिए.
उत्तरायण पर्व के लिए विशेष मंत्र!
मकर संक्रांति के दिन स्नान के बाद भगवान सूर्यदेव का स्मरण करना चाहिए.
इस दिन गायत्री मंत्र के साथ साथ इन मंत्रों द्वारा भी जप पूजा कीया जा सकता है:
- ॐ सूर्याय नम:
- ॐ आदित्याय नम:
उत्तरायण पर्व के लिए विशेष मंत्र!
- ॐ सप्तार्चिषे नम:
- ॐ ऋड्मण्डलाय नम:
उत्तरायण पर्व के लिए विशेष मंत्र!
- ॐ सवित्रे नम:
- ॐ वरुणाय नम:
उत्तरायण पर्व के लिए विशेष मंत्र!
- ॐ सप्तसप्त्ये नम:
- ॐ मार्तण्डाय नम:
उत्तरायण पर्व के लिए विशेष मंत्र!
- ॐ विष्णवे नम:
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